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Showing posts from 2015

पर कुछ बेबस माएँ भी हैं

दिल्ली की ठिठुरती ठंड बेजान शरीर की तरह है आम आदमी जहाँ ख़ुद को बचाता है ,गर्म कपड़ों से अपनी चारदीवारी के अंदर गर्म कम्बलों,रजाइयों और तरह-तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से वहीँ बेबस,लाचार, बेघर , सर्वत्र फैली आबादी पर ही असली कहर बरपता है चारदीवारी के अंदर वाली माँ तो गर्म कंबलों के बाबजूद भी अपने बच्चों को सीने से लगाये सोती है पर कुछ बेबस माएँ भी हैं ,जो इस कपकपाती ठंड में लाचार , चिथड़े में , चिथड़े कंबल में बच्चों को अपने सीने से चिपकाए खुले आसमान या फिर कहीं कोने में ज़मीन पर लेटे रात बीतने का इंतज़ार करती है मैं खाने के बाद ,कुछ दोस्तों के साथ ऐसे ही किसी सड़क से गुजरता हूँ कुछ ऐसे ही लाचार लोग हाथ फैलाये भैया ,मालिक कहते हुए ,कुछ मागते हैं मैं अपने बटुए की तरफ देखता हूँ फिर शर्मबोध से सर नीचे किये आगे बढ़ जाता हूँ पास की दुकान पर ,एक दोस्त सिगरेट के लिए पैसे निकालता है सड़क के कुत्ते भी कुछ खाने की चीज़ के लालसे में मुह ऊपर करते हैं और फिर वापस किसी और के पास जाते हैं।  

वही छोटू

आज मैंने उसे देखा उस शीशे वाली महँगी कपड़ो की दूकान के आगे कंधो पे झोला लटकाये खड़ा था पतलून को किसी रस्सी से बांधे हुए था शायद छोटू नाम था उसका   किसी ने उसे  इसी नाम से पुकारा था जब वह घर का कूड़ा उठाने गया था उस धूल सनी मटमैले तन पे कोई चिथड़े नहीं थे अब जब वह शीशे वाली दूकान के सामने  आया है तो उसे उसके ही कद का कोई मिल गया है इस नए अजनबी के बदन पे कीमती लिवास हैं पर वह छोटू के जैसा हरकत नहीं कर रहा शायद!!! वह दिखावे का है, जिसपे लिवास टंगे हैं छोटू अब भी मुस्कुरा रहा है शायद किसी सपने के एक कोने में उसका है  अजीब है..... एक वो है जिसे जरूरत है, पर पास नहीं है और एक वो है जिसे जरूरत नहीं, पर पास है अचानक कहीं से आवाज़ आई : "अबे! निकल इधर से " मैंने देखा ये वही था जिसने कहा था "छोटू ये वाला भी कचरा उठा लेना" . ।

मैं डरता हूँ

मैं डरता हूँ ,एक अनजान सी  अजीब सी  बात से जो शायद मैं खुद भी नहीं जानता मानो किसी बच्चे को कभी किसी अँधेरे कमरे में अकेले छोड़  दिया गया हो और फिर कभी रोशनी पूरी ही न हो पायी हो मानो एक कोना अँधेरा था और अँधेरा ही रह गया हो एक अजीब सी झिझक है, एक अजीब सा डर है मैं डरता हूँ , एक अनजान सी अजीब सी  बात से मैं डरता हूँ , अपने जैसे लोगों का सामना करने से मैं डरता हूँ ,एक अनजान सी  अजीब सी  बात से ये अँधेरा सा कोना जो आज भी प्रकाशविहीन है मानो कभी प्रकाशित  ही न हुआ हो शायद बचपन की कोई बात हो , जो अनकही ही रह गयी हो शायद कोई चीज़ , जिसे पाने की अथक कोशिश हमेशा नाकामयाब रही हो शायद कोई डांट जो मस्तिष्क  के एक कोने में घर कर गयी हो मैं डरता हूँ , एक अनजान सी  अजीब सी  बात से मानो बचपन में कोई पसंदीदा खिलौना खोने का डर हो ये डर शायद विचित्र सी दुनिया को, एक बनावटी हंसी पहन कर झेलने का है शायद इस नाटक में खुद को खोने का है शायद कुछ पाने पे कुछ खोने जैसा है जो भी हो , ये अजीब ...

Someone

You are someone who really matters to me Someone to wake up to To share the weather with, then the coffee Someone to dream with- to plan and then celebrate with Someone to win with, and someone to lose with Someone to care for and protect Someone to talk with for long hours Someone to hold, someone to be held by Someone to cook with, someone to travel with Someone to make magic out of mundane with, and smile because it’s with each other Someone to cry with, to hold and to hug Someone to trust Someone whose eyes reflect what’s in mine Someone to smile with A smile which says, “I’m staying.” Someone to miss, even for a minute- until you return, and it feels like home again Someone to stare at for moments unending Someone to love !!

You make me perfect !!

I don't know what is perfect time or moment I have not read or heard about it. I don't know anything about perfection May be it's all imaginary, a big illusion May be it's one of the intangible aspects of life. May be it can only be felt May be by many of us, may be not I don't know exactly what it is or it may be I just think that some moment in our life seems perfect it seems as if nothing else is required, No achievement, No rush basically nothing else except that particular moment. May be for me it is when I look deep into your eyes May be it's when i see my reflection in your dark pupils. May be when you embrace me and I can feel your warm breath around my neck May be it's your gentle kiss on my forehead May be it's one of our wild imaginations turning real. May be it's one of the most intense moment May be it's your mere presence in my universe that makes it perfect !!

तुम्हारी दुनिया किसी चलचित्र के सीन सी मालूम पड़ती है

तुम्हारी दुनिया किसी चलचित्र के सीन सी मालूम पड़ती है हमारी दुनिया तो छल-कपट , भाग-दौड़  से भरी है तुम्हारी दुनिया शान्त सी , खुशहाल , जीवंत प्रतीत होती है हमारी दुनिया का एक बड़ा हिस्सा , कुछ किलोमीटर के  दायरे में ज़िन्दगी-मौत का फासला तय कर लेते हैं तुम्हारी दुनिया में फासला फासला सा मालूम ही नहीं पड़ता दूरियां पलक झपकते तय होती है इस ज़िन्दगी मौत के फासले नहीं बल्कि कई और अनछुए से पहलू  हैं हमारी ज़िन्दगी सीमित सी , एक कूप-मंडूक  सी मालूम पड़ती है तो तुम्हारी क्षितिज  विहीन आसमान में उड़ते हुए एक परिंदे जैसा हमारी सीमाएं कुएं की दीवारें तय करती है तो तुम सीमाविहीन आसमान में हर रोज , कुछ  नयी उंचाईओं को नापते हो हमारी दुनिया कुछ जानी -पहचानी और प्रचलित मालूम पड़ती है वहीँ तुम्हारी दुनिया किसी चलचित्र के सीन सी मालूम पड़ती है।

शीशे से झाँकती एक तस्वीर है

शीशे से झाँकती एक तस्वीर है धुँधली सी , शायद पुरानी यादों को ताजा करने का एक जरिया शीशे के अंदर से हमारे अतीत की एक झाँकी सी निकलती है हमारे अच्छे एवं बुरे पलों के यादों से गुजरता हुआ हमारे वर्तमान तक एक रास्ता हो जैसे बुरी  यादों के लिए कैद तो अच्छी यादों का संग्रहालय सा प्रतीत होता है शीशा कभी अतीत का दर्पण तो कभी वर्तमान का प्रतिबिम्ब मालूम होता है शायद यही हमे हमारा सच दिखाने का जरिया मालूम होता है। 

शाम को जब पंछी घर को लौटा

                                                    "शाम को जब पंछी घर को लौटा " सूरज की पहली किरण से पहले लालिमा के साथ ही पंछी अपने-अपने घरों से बाहर आने लगते हैं कुछ अपने तो कुछ बच्चों के ख़ातिर कुछ गगन की ऊंचाइयों को चुम रहे होते हैं तो कुछ उड़ान भरना सीख रहे होते हैं हर सुबह यही होता है सिवाए कुछेक  के जो रास्ते भटक जाते हैं या फिर नए रास्ते चुन लेते हैं लौट कर दुनिया बदली हुई पाते हैं सुबह को भटका शाम को लौटा शायद हमेशा सच नहीं हो पाती कभी-कभी पंछी शाम को वापस की राह ढूँढ़ते तो हैं , पर या तो रास्ते मिलते नहीं ,या फिर घर पहले जैसा नहीं मिलता कुछ साथ रह जाता है तो सुबह से शाम तक का यात्रा-वृतांत अफ़सोस के साथ-साथ शायद थोड़ी ख़ुशी 

परदे के पीछे भी एक भूमिका है

एक रंगमंच है नायक और नायिका हैं हर नाटक की तरह इस नाटक की  भी एक अपनी कहानी है पात्रों की अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं हर नाटक की तरह इस नाटक में भी परदे के पीछे की एक भूमिका है नाट्यमंच , नाटक के भाव विभिन्न पात्रों की भूमिकाएं नायक एवँ नायिका के बोल भावविह्वल दृश्य इन सबमे परदे के पीछे की एक बात है शायद गौण पर अहम् शायद यह बात शरीर में प्राण की तरह है नाटक में कहानी की तरह है शायद यही नाटक का भाव है पात्रों की भूमिका है उनके बोल हैं शायद यही नाटक है शायद यह भी रंगमंच का ही एक भाग है इसी नाटक का भाग है एक पात्र है , उसकी भूमिका है पर गौण , अनजाना सा शायद अजीब पर सच शायद अदृश्य  पर मौजूद हर अंश में , हर पात्र में उनके हर-एक भाव में , उनके हर बोल में गौण पर शायद शायद अहम शायद परदे के पीछे का सच 

सपनो की दस्तक

पुरानी डायरियों में मानो हमारा गुजरा हुआ वक़्त ठहरा हुआ हो अब तक के जीवन का यात्रावृतांत मानो जीवंत हो वहीँ कहीं उन पृष्ठों के बीच हमारे सपने कुछ पूरे ,कुछ अधूरे ठहरे हुए हैं यह हमारे अतीत का दर्पण है तो कभी वर्तमान का मार्गदर्शन इन्हीं किसी पन्नो में तुम्हारा भी जिक्र है , जिक्र है उस साँवली लड़की का जिसपर कभी दिल आया था उस दिन को वापस जीने का मन करता है वो अनजान सी पर रंगीन होली का जिक्र है तुम्हारे साथ बीते पलो या ख्यालो का हर छोटे-मोटे  लम्हे , भी इन्ही पन्नों में ठहरे हुए हैं स्वप्नलोक के मिलन के किस्से कैद हैं आज उन सपनो को जीने का वक़्त आया है वक़्त बेवक़्त वो दिन याद आता है प्रेम का कोई सिलेबस तो तयशुदा होता नहीं पर प्रेम की परिभाषा लिखने का जी करता है उन सपनो के हर पल को जीने का मन करता है प्रेम के किस्सों से इन पन्नो को भरने का मन करता है

मैं तुम्हे नहीं , तुम्हारा हो जाना चाहता हूँ

मैं किनारा नहीं तुम्हारे किनारे पाने का जरिया बनना चाहता हूँ सहारा बनना चाहता हूँ तुम्हारे पास से गुजरने वाला साहिल बनना चाहता हूँ बारिश की बूंदे बनना चाहता हूँ आग नहीं , आग हो तो बुझाने का तरीका बनना चाहता हूँ मुझे उंचाईओं की चाह नहीं तुम्हारी उंचाईओं का सहारा बनना चाहता हूँ मैं तुम्हे नहीं ,तुम्हारा हो जाना चाहता हूँ मैं सपने नहीं , सपने जीने का जरिया बनना चाहता हूँ मैं मकसद नहीं , उन्हें हांसिल करने का जरिया बनना चाहता हूँ मैं पाना नहीं , खोना चाहता हूँ मुझे ठहरने की चाह  नहीं चलते रहना चाहता हूँ मैं तुम्हे नहीं , तुम्हारा हो जाना चाहता हूँ।

Gracious death

sometime there is no escape none can save the man, when grave summons the soul when love is gone, and hatred replaces love, when passion turns poisonous when even the brightest rays of hope seems dull and life is bleak when hope turns hopeless, and mightiest powerless, and when dust turns dusk, when life has taken its toll, and fate shows mercy death seems grace and it embraces all.

From lost world to the lost world

There was a corner of me undiscovered, lost perhaps dead. I never knew, I just believed in its non-existence. Then you happened, you pulled me out of the darkness. from the lost world where i wandered alone to the world i could feel more i had better sense,perhaps more things to count on life other than breath. The warmth i felt was better than a sunny day in freezing cold. I could sing and dance. I chirped like a bird. Then, life showed other side and now was the turn of loss there was a push,perhaps gentle but very unfortunate. I went back to the dark days, back to the lost land, where I wandered before, where I swirled like dry leaves caught in the wrath of a violent storm. with every passing moment I lost my faith, I lost warmth I lost hope, I lost the better seeming world. I lost motivation and with hope everything i had was gone. once again destiny took me to the dark alleys perhaps to the place where i belonged. This time perhaps even worse, I was doomed in the darkest c...
I wonder why my voices choke why i feel when i can't express why the voices die somewhere deep down why i cry inside when i have no tears left to show the world. Why my life is full of lessons, when i desire of no more why i am not convinced with the logic, which easily convinces people around I wander and wonder perhaps there are no absolute answers only guess and lone feelings.

तुम हो तो मैं हूँ।

तुम्हारे होने का एहसास मात्र जीवित होने जैसा है। तुम जीवन के कई पलो में से एक नहीं बल्कि संपूर्ण जीवन ही हो। तुम्हारे होने मात्र से बेजान शरीर में प्राण है। संगीत है ,सपने का सच होने जैसा है। तुम सांसो की खुशबू नहीं , सांसें ही हो। तुम चेहरे की रौनक नहीं , चेहरा ही हो। तुम हो तो मैं हूँ। तुम्हारा होना ही मेरा होना है। इस कहानी की शुरुआत हो , तुम्ही आदि , तुम्ही अन्त हो।  

एक भयावह सा सन्नाटा

सूनी राहें अपनी लगती अनजानी है , पर अपनापन है आज एक लम्बे अरसे के बाद शहर को लौटा। शहर बिकसित हो रहा था ,पर बस्तियां उजड़ गयी फ्लाईओवर बनी तो ,पर नीचे गरीबों का आशियाना छीन गया। गली के किनारे वाली हनुमान मंदिर वैसी ही है मंदिर के सीढ़ियों पर त्रिपुंड धारी पंडित  मूछों पर ताव दे रहा था , मानो जैसे देवताओं की कृपा ने उसकी जगह जड़ रखी हो।   चौराहे के पास वो बूढ़ा दर्जी आज भी अपनी वर्षो पुरानी चाल में मस्त  आस-पास की दुनिया से अनजान  दूसरों के शादियों के कपड़े  बना रहा है।  पास ही एक धोबी की जीर्णशीर्ण झोपड़ी है , झोपड़ी मानो उसके बहादुरी की कहानी सुना रही हो।  आज भी वो पुरानी रेडियो पे पुरानी धुनों के साथ , अपने काम में खोया हुआ है मानो सालो से कुछ बदला ही ना हो, सबकुछ बदला हुआ नजर आया ,पर शायद कुछ बदला ही नहीं।  एक ओर सुनी गलियों में अपनापन है , बचपन की यादें हैं  तो दूसरी तरफ भरी हुई ,ठहाके लगाती हुई मंडली है  पर शायद इन ठहाकों के बीच एक भयावह सा सन्नाटा है। 

Traveller

"Some hobbies are secret and are fun as well but then there is realisation that some are better revealed for the greater benefits. " I am a traveller like billion others travelling together in a cosmic journey. I've seen people illusioned to have  achieved their end,they call it goal, some call it fate,while others destiny I believed none... So, I continued my journey. friends departed,love forgotten bonds broken,affection lost,soul missing. I travel because I hope beyond hope... I travel because life was rough and is still so... joy or sorrow made no difference because travelling is not merely covering distance. It is exploration of the true joy... Discovery of the real world,revelation of the truth Myths unwrapped...truth discovered These are surprises unfolded in my journey so far. I travelled because I kept saying myself- that "this can not be my fate". I travel because I believe that Not fate but I decide my life. and I keep moving up and up... U...