शीशे से झाँकती एक तस्वीर है
शीशे से झाँकती एक तस्वीर है धुँधली सी , शायद पुरानी यादों को ताजा करने का एक जरिया शीशे के अंदर से हमारे अतीत की एक झाँकी सी निकलती है हमारे अच्छे एवं बुरे पलों के यादों से गुजरता हुआ हमारे वर्तमान तक एक रास्ता हो जैसे बुरी यादों के लिए कैद तो अच्छी यादों का संग्रहालय सा प्रतीत होता है शीशा कभी अतीत का दर्पण तो कभी वर्तमान का प्रतिबिम्ब मालूम होता है शायद यही हमे हमारा सच दिखाने का जरिया मालूम होता है।