कुछ और पल होते तो
कुछ और पल ठहर जाते तो अच्छा होता कुछ और लफ़्ज़ सुन लेता कुछ अनकही बात सुन लेता कुछ और पल होते तो ये ,वो कुछ और कर लेता कुछ और लम्हे साथ के होते कुछ और यादें बनाता तुम होते तो ये करता वो करता , कुछ और करता कुछ जानता , कुछ बताता कुछ सुनता , कुछ सुनाता कुछ और पल रुकते तो शायद हमलोग यहाँ चलते वहाँ भी चलते कई और जगह हो आता अपनी लंबी सी ख्वाइशों की पुर्जी भी थोड़ी और छोटी हो जाती कुछ और पल होता तो थोड़ा और जी लेता।